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________________ ॐ श्रीविठ्ठलनाथजी प्रभुचरण श्रीमहाप्रभु वल्लभाचार्य के यहां दो बालकों का प्राकटय हुआ था । उनमें ज्येष्ठ पुत्र का नाम गोपीनाथजी था । इन के वंश ने अपनी लीला बहुत स्वल्प काल में ही संवरण करली थी । द्वितीय पुत्र श्रीविठ्ठलनाथजी थे । इन को वैष्णवगण प्रभुचरण भी कहते हैं तथा ये गुसाईंजी के नाम से सर्वसाधारण में प्रसिद्ध हैं। श्रीमद्वल्लभाचार्य के चरित्र का अनुसन्धान करने के लिये प्रचुर सामग्री उपलब्ध हैं । किन्तु श्रीमद्विठ्ठलनाथजी के चरित्र लिखनेवाले को एक यह बड़ी भारी आपत्ति आ पडती है कि उनके चरित्र पर प्रकाश डालने वाला एक भी स्वतन्त्र प्रामाणिक ग्रन्थ नहीं है । तथापि 'वह्निसनुस्तव' इत्यादि ग्रन्थों की सहायता लेकर यहां कुछ लिखा जा रहा है। श्रीविठ्ठलेश प्रभुचरणों का प्रादुर्भाव संवत् १५७२ पौषकृष्ण नवमी के शुभावसर पर हुआ था।
SR No.010555
Book TitleVallabhacharya aur Unke Siddhanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVajranath Sharma
PublisherVajranath Sharma
Publication Year
Total Pages405
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size10 MB
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