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________________ श्रीमद्वल्लभाचार्य श्री कृष्ण और उन के अनुग्रह हैं । पुष्टिमार्ग में अहंता ममता रूपी संसार से मुक्त होना, भगवान् श्री कृष्ण चन्द्र के अलौकिक माहात्म्य का यथार्थ ज्ञान होना, भगवान् का साक्षात्कार होना, भगवान् में दृढ भक्ति होनी और अन्त में भगवल्लीला में प्रवेश होना यह सब श्री कृष्ण की पूर्ण अनुकम्पा द्वारा ही साध्य माने गये हैं । इस अनुग्रह अथवा पुष्टि से होने वाली जो भक्ति उसे पुष्टिभक्ति कहते हैं। यह विश्वधर्म पुष्टिमार्ग वेद विहित है । वेद, भागवत, गीता और ब्रह्मसूत्र में जो भी कुछ सिद्धान्त रूप से कहा है वह सब पुष्टिमार्ग को पूर्णरूप से सन्मान्य है। यदि वास्तविक रूप से देखा जाय तो वेद, सूत्र, भागवत और गीता ये सब पुष्टिमार्ग का ही निरुपण करते हैं । विश्वधर्म होने के प्रमाणस्वरूप कहा जा सकता है कि इस मार्ग में भगवान् की जो भी कुछ सेवा या भक्ति की जाती है वह कोई भी प्रत्युपकार की इच्छा अपने मन में रक्खे बिना ही की जाती है। यहां प्रत्युपकार की कोई भी आशा नहीं है । केवल भगवान् प्रसन्न हों यही पूर्ण अभिलाषा बनी रहती है। इसी लिये इसे निर्गुण भक्तिमार्ग भी कहते हैं । माहात्म्यज्ञान पूर्वक ईश्वर में अत्यन्त अनुराग पूर्ण प्रेम करना ही विश्वधर्म है और यही पुष्टिमार्ग है । यही ईश्वर के प्रति एक मात्र शुद्ध प्रेम का मार्ग है।
SR No.010555
Book TitleVallabhacharya aur Unke Siddhanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVajranath Sharma
PublisherVajranath Sharma
Publication Year
Total Pages405
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size10 MB
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