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श्रीवल्लभानुग्रह स्मरण
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तुमारे लाखों ही उपकार !
वेद धर्म के कर्म मर्म को समुचित व्यक्त किया तुमने ! अखिल विश्व के शान्ति मार्ग का अन्तिम वोध दिया तुमने ! निश्छल अपने हृदय राज्य में सादर स्थान दिया तुमने ! अमिट सुखों का अवलंबन दे नाथ सनाथ किया तुमने ! जय जय श्रीवल्लभ,
भगवन् जय वल्लभ !
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अनुग्रह ग्रह के मालिक आप !
अवनति के उस घोर गर्त से हाथ थाम खींचा तुमने ! उन्नति के सर्वोच्च शिखर पर सादर बैठाया तुमने ! अन्तःसार विहीन विषय को विप सम दूर किया तुमने ! अमृत तुल्य अपने ग्रन्थो का निस्तुल ! दान दिया तुमने ! जय जय श्रीवल्लभ, भगवन् जय वल्लभ !