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छठी माण्डवेको प्रकार तथा पूजनविधि ।
छठी पहेले दिना स्त्रीजनगावत गावत माण्डें । पश्चिम मुख छठी होय । पूजनवारो पूर्वाभिमुख बैठे या प्रकार लिखनी । श्रीनन्दरायजी श्रीयशोदाजी गोपीग्वालको प्रकार।
नन्दरायजीको पाग सुपेद धोतीकोरदार उपरना नेनुपल्लेको, सनकी डाढी बाँधनी। कडा बाजूवन्ध आदि जो गहेना होय सों सब पहेरावने । श्रीयशोदाजी. पीरीया हाथ दशको। लेंगा गागरो मिसरूको । चोली गुलेनार दरियाईकी । और सब बहू बेटीनको गहनो पहरावनो । गोपी ४ ग्वाल ४ ताको सबनको शृङ्गार करनो । अनसखड़ी महाप्रसाद जिमावनो । पाछे बीड़ा देने ॥
प्रथम श्रीयशोदाजीकों पधरायवे जानों।
झाँझि, पखावज बाजत कीर्तन होत पास जायके दण्डवत करि पधरायकें पलनाके पास कोरी हलदीको चौक पूरयोहोय तापें गादी बिछायके गादी पधरावनें । भेट घरें कछु खिलोनाँ धरि पीताम्बर उढाय पाछे दोरी हाथमें लेके झुलावनें । पाछे वैसेही श्रीनन्दरायजीकों पधरायकें छठीके पास पधराय छठीकों पूजनकरे । वाई रीतिसों गोपी ग्वाल पधरावने ॥
छठीको पूजनविधि । अब छठीके ऊपर लोहेकी कील गाडिये ताके ऊपर वस्त्र १ पीरे रङ्गको धरनो । बाँसकी खपाच तीन मिलाय तिकोनी करिये । फूल लगाइये ऊपर कीलमें खोसिये । छठीके आगे चनाकी दारकी खिचड़ीकी टेरि करि ताके ऊपर चपनघृतको भरि धरिये । दीवा प्रकट करि धरनों। एक कटोरामें घृत तायके
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