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________________ 3 - नेजाकी कतलीके नेजा सेर 51 खाण्ड सेर 53 पेठाकी कतलीके-पेठाके बीज सेर 5॥ खाण्ड सेर ७॥ इलायची मासा १ खरबूजाके बीज सेर ॥ खाण्ड सेर ॥ ताके लडुवा बाँधनें॥ __ चिरोंजीके-लडुवा सेर 5॥ खाण्ड सेर ॥ वरास रत्ती ॥ सखाराक लडुवाको खोपराको खुमण सेर । मिश्री सेर ॥ बरास रत्ती १ पेठापाककी-मिश्री सेर 5१ केसर, बरास, तीन तीन रत्ती॥ · बिलसारु पाँच तरहकें। केला, करोंदा, केरी, किसमिस, गुलाबके फूल बगेरेको करनों । मुरव्वा विलसारु जो बनजाय सो सब पलना भोगमें साजने॥ अथ मूके मेवाको प्रकार । मिश्रीकी कडेली छोटी, बदाम, दाख, छुहारे, पिस्ता, खोपराके टूक, कुंकन केला, खुमानी, मुनका, दाख, सूके अञ्जीर, खिजूर यह सब पाव पाव सेर साजने वटेरानमें । मुझे मेवा, तामें नोन सेंधो तथा मिरच पिसी मिलावनी । बदाम, पिस्ता, चिरोंजी, अखरोट, मखाने, काजूकलिआ, मूङफली, बीज कोलाके, बीज खरबूजाके, बीज पेठाके, यह सब आध आध पाव भूअने। सब बटेरीनमें सजावने और तर मेवा (नीलीमेवा) जितनी तरहकी मिले तितनी सिद्ध करके साजनी ॥ अथ महाभोग धरवेको प्रकार । सखडी भोग धरवेको प्रकार ।। अब डोल तिवारीमें पिछवाई चन्दोवा बाँधने । हरदीको चारयों आड़ी माँड़नी, पाछे चौकी माण्डनी । तापे पातर - - -
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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