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________________ MANOR - - बिछे हैं। ताके ऊपर एक छोटी चौकी बिछे है। ऐसेही श्रीगोकुलनाथजीके घरमें रीति है सो अक्षयतृतीयासों छिडकाव होय तब। एक चौकी गादी सुद्धा खण्डके आगे आवे है, रथयात्राताई । फिर सुजनी। श्रीगोकुल नाथजीके मन्दिरमेंहूँ राजभोगके समय खण्डके आगे सुजनी अथवा आसन बिछे हैं। ताके ऊपर गाय घोड़ा, हाथी आदि खिलोना धरे जॉय हैं। सो सन्ध्या आरतीसे पहिले उठाये जाँय हैं। और राजभोग समय गेंद चौगान सिडिपें दोऊ आडी धजिाय हैं। | और और मन्दिरनमें सब ठिकाने गेंद चौगान एकही बगल दाहिनी दिशा धरीजाय है । और श्रीगोकुलनाथजीमें गादीके दोऊ आडी तकिया नहीं धरे जाय हैं। ताको भाव यह है जो श्रीगोकुलनाथजीके गादक आस पास एकही सिंहासनऊपर श्रीविठ्ठलनाथजी तथा श्रीमदनमोहनजी बोहोतदिन ताई बिराजे तब बगली तकिया नहीं रहते। सोही भावसों अबहूँ नहीं धरे हैं। और राजभोगमेंहूँ तीन थार आवे हैं। और दोऊ आड़ी दर्पन रहे हैं । औरमन्दिरनमें दर्पन राजभोग आरती पीछे सिडिपर (खण्डपर) धरयोजाय है । और हीयां गोकु. लनाथजीमें शयन आरती समय गादीके पास झारी, बीड़ा सदाँही रहे हैं। और श्रीगोकुलचन्द्रमाजीमें रामनवमीते दशहरा ताई शयनमें झारी बीडा रहे हैं। दशहराते झारी नहीं रहे। और मन्दिरनमें शयन समय बीड़ा, रहे, झारी नहीं रहे। श्रीविठ्ठलनाथजीमें शंखोदक दोय बिरियां होय एक राजभोग आये, और दूसरे राजभोग आरतीपाछे शंखोदक होय पाछे वाई जलसों सबनको मार्जन करे है। और गोकुलचन्द्रमाजीमें श्रृंगार आरती होयवेकी रीति EDIASE
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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