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शय्याकी साँकल नित्य अनोसरमें चढ़ावनी पंगायतमें चादर चुनके धरनी । सो जन्माष्टमीके पहले दिन ताई। और जो श्रीपादुकाजी विराजते होय तो गोपीवल्लभ भोग आये पादुकाजीकूँ स्नान करावनो। प्रथम सूकी हलदीको अष्टदल करके ऊपर परात धरके तामें पटा धरनो । तामें अष्टदल कमल कुम्कुम्को करके पधरावने दर्शन खोलनो। झालर घण्टा बाजत शंख बाजत झाँझ पखावज बाजत बधाई गावे तिल अक्षत संकल्प करके दूधसों स्नान करावनो पाछे अभ्यंग होय । चादर केशरी। कुल्हे धरावनों । राजभोगमें सेव छाछि बड़ा, धोआदार । तीनकूड़ा। श्रीगुसांईजीके उत्सव प्रमाण और सामग्री पाँचों भात । चोखा, मूंग, बड़ीके शाक पत्तल २ पापड़, तिलबड़ी, ढेंबरी, मिरच बड़ी, भुजेना ८ कचरिया ८ अनसखड़ामें चन्द्रकला सेर 5१ मनोहर सेर ॥
और सब दिनको नेग बूंदी जलेबीको । जलेबीको मैदा सेर ७२ घी सेर २ खाँड़ सेर 5६ बूंदी सेरऽ३ की घी खाँड बराबरको। शकरपारा सेर 51 के । सीरा । शिरखन बड़ी। मैदा पूड़ी। सेव बेसनकी झीने झझराकी । चना तथा दारके फड़फड़िया छाछिबड़ा खीर दो तरहकी। सेव तथा संजाबकी। रायतो २ शाक ८ भुजेना ८ सँधाना ८ दूधघरको प्रकार बरफी केशरी। पेड़ा, मेवाटी, केशरी, अधोटा, खोवाकी गोली, मलाई दूध | पूड़ी, दही खट्टो मीठो, शिखरन, सब तरहकी मिठाई, साबोनी गजक गुलाबकतली वगेरे । मेवा भण्डारके बदाम, पिस्ता वगेरे । खरबूजाके बीज वगेरे पगेमा कतली अथवा लडुवा वगेरे । विलसारु पेठा, केरीके मुरब्बा वगेरे। फलफलोरी। नीलो मेवा वगेरे सब तरहके । नारंगीको पणा वगेरे । और
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