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________________ NARENDRIYASEENA M ARNES m o malliamsomeom करि हाथमें जल अक्षत लेके संकल्प करनों। “ॐ हरिः ॐ श्रीविष्णुर्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य श्रीविष्णोराज्ञया प्रवर्त्तमानस्याद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीयप्रहरार्दै श्रीश्वेतवाराहकल्पे | वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे तस्य प्रथमचरणे बौद्धावतारे जम्बूद्वीपे भूलॊके भरतखण्डे आर्यावर्त्तान्तर्गते ब्रह्मावर्तेकदेशेऽमुकदेशेऽमुकमण्डले मुकक्षेत्रेऽमुकनामसंवत्सरे सूर्य उत्तरायणे वसन्तौ मासोत्तमे मासे श्रीचैत्रमासे शुभे शुक्लपक्षे नवम्याममुकवासरेऽमुकनक्षत्रेऽमुकयोगेऽसुककरणे एवं. गुण विशेषणविशिष्टायां शुभपुण्यतिथौश्रीभगवतः पुरुषोत्तमस्य श्रीरामावतारप्रादुर्भावोत्सवं कर्तु तदंगत्वेन पञ्चामृतस्नानमहं करिष्ये" यह पढ़के जल अक्षत छोड़नो ता पीछे तिलक कीजे, अक्षत लगाइये दोय दोय बेर । बीड़ा २ धरिये और पञ्चामृतक कटोरानमें तुलसीदल महामन्त्रनसों पधरावने । पाछे शङ्खमें तुलसी पञ्चाक्षरमन्त्रसों पधरावनी । पाछे पञ्चामृतस्नान कराइये । पहले दूध, पाछे दही, घृत, बूरो, सहत पाछे एक शङ्ख दूधसों स्नान करायके प्रभुके ऊपर फेरिलेनो। पाछे शीत जलसों पाछे चन्दन लगायके फिर सुहाते जलसों कराय अङ्गवस्त्र करावनो। पाछे विन] श्रीठाकुरजीके पास गादीपे दक्षिण आडाक कोनेपे पधरायके पीतांबर उढ़ाइये उनको फूलमाला धराइये । विनकू तथा श्रीठाकुरजीको तिलक अक्षत दोय दोय बेर लगाइये बीडा २ धरने । घण्टा झालर शङ्ख बन्द राखने । टेरा करनो धूप दपि करनों चरणारविन्दमें तुलसी समर्पनी। शीतल भोग मिश्रीके पणाको धरनो । पाछे उत्सव भोग धरनो। सामग्री बूंदी, शकरपारा, अधोटा दूधघरकी सामग्री धरनी। | जीराको दही, मीठो दही, लण मिरचकी कटोरी, फलाहारको -
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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