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अन्नकूटको भोग धरवेको प्रकार । दूध वरकी सामग्री, मेवा मिठाई, सिंहासनके खण्डपे धरनी तरमेवा धरने । ता पाछे यथाक्रम-नींबू, लूण, मिरच, आदा, पाचरी, माखन, मिश्री, सब धरनो। तुलसी, शंखोदक, धूपदीप करनों। साथिआवारो गुना अगाड़ी राखनों । शंखवारो गुना वाम ओर राखनों। चक्रवारोगुना पाछे राखनों। गदावारो गुजा जेमनी ओर राखनो । और बडो चक्र बीच में तामें चित्र प्रभुके सामने राखने । तुलसीकी माला पहरावनी जो केशरि जा घरमें छिड़कत होय सो तहाँ छिड़कनी । या प्रकार सब सिद्ध करके भूलचूक देखिके तुलसी शंखोदक धूप दीप करनो । अरोगवेकी बिनती करनी जो श्रीआचार्यजी महाप्रभु श्रीगुसांईजीकी कानिसों कृपा करिके अरोगोगे पाछे समय घण्टा २ को समय भये आचमन मुखवस्त्र कराय बीड़ा धरके दर्शन खोलने । पाछे आरती चाँदीके दीवलाकी मोतीकी थारीकी करनी, राई नोन नोंछावर करनो। पाछे अनोसर करनो। पाछे उत्थापन, सन्ध्याभोग भेलो आवे । पाछे शृंगार बड़ो करिके शयन भोग आवे । समय भये भोग सराय आरती करनी। पाछे नित्यकी रीतिसों अनोसर करनो । मंगलामें नित्य क्रमसों उठे तैसे उठावने नित्य क्रमसों ॥
अब अन्नकूटके और भाईदूजके बीच में
खाली दिन आवे ताको प्रकार । वस्त्र गुलाबी जरीके । वागो चाकदार, चीराछज्जेदार, कलङ्गी जड़ावकी, ठाड़े वस्त्र हरे। आभरण पन्नाके । सामग्री उड़दको माहनथार । ताकी दार सेर ॥ घी सेर ॥ खाँड सेर 5२
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