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________________ - खाँड सेर 50 मिश्री सेर ॥ सुगन्धी मासा ६ राज भोगमें !! अन्नकूटकी सखड़ीमतें । अनसखड़ीमेंतें धरनो । राजभोग गोपीवल्लभ भेलो आवे ॥ कार्तिक सुदि १ गोवर्द्धन पूजाको तथा अनकूटको उत्सव । अब गोबरको श्रीगोवर्द्धनपर्वत करनों । उत्तर दिश मुख करनों । दक्षिण दिश पूँछ राखनी । ताके ऊपर ओङ्गाकी डार, कण्डेरकी डारि रोपनी । पश्चिम आडी श्रीगिरिराजमें एक गवाखा श्रीगिरिराजजी पधरायबेकों करनों । और चारयो । आड़ी ४ दीवा जोड़ने । सब सुपेदी करावनी । तहाँ चन्दोवा पिछवाई टेरा बाँधनों । यह सब तैय्यारी रात्रिकोहीं कर राखनी। अब चारि बजे श्रीठाकुरजी जागें । इतने सब भोग अन्नकूटको सजजाँय । अब मंगलाके दर्शन नहीं खुलें । भीतर आरती होयके सब शृंगार यथास्थित करनों। गोकर्ण धरावने। श्रीहस्त ऊपर पीताम्बर धरावनो । दोनों छेड़ा ऊपर राखने । पाछे गोपीवल्लभ राजभोग भेलो आवे । पाछे समय भये पूर्वोक्त रीतिसों भोग सराय पीताम्बर धरायके राजभोग आरती थारीकी भीतरही करनी । दर्शन नहीं खुलें । पाछे श्रीठाकुरजी. गादीसुधाँ सुखपालमें पधरावनें । पीताम्बर तकियापे राखनों । वेत्र दाहिनी ओर धरनों और पहले श्रीगोवर्द्धन पूजिवे• इतनी तैयारी करलेनी । जलके घड़ा २, दूध सेर ७२, दही सेर ऽ२, हलदी पिसी सेर, । कुम्कुम् सेर 5I, अक्षत पीरे, अरगजाकी कटोरी, बीड़ा ४, माला २, तुलसी, शङ्ख मुखवस्त्र, श्रीयमुनाजलकी झारी, आचमनकी झारी, तष्टी, धूप, दीप, आरती, झालर, घंट, शङ्ख, कुनवाड़ेकी हाँडी २० inclinine
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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