________________
मध्याप
• मनुष्य रहते हैं । जलमुखवाले मनुष्योंकी दक्षिण उचर दोनों ओर ऊंटकेसे कानवाले और गायकेसे । कानवाले मनुष्य रहते हैं। हाथीकेसे कानवाले और घोडकेसे कानवाले मनुष्योंकी दोनों ओर बिल्लीके । मुखवाले मनुष्य रहते हैं एवं पक्षीसरीखे मुखवाले मनुष्योंके आसपास हाथीसरीखे मुखवाले लंबे लंबे
कानोंके धारक मनुष्य रहते हैं। . ___ कालोद समुद्र के पास विजया पर्वतकी दोनों श्रेणियों में शिशुमार (सूस)कैसे मुखवाले और मगर सरीखे मुखवाले मनुष्य रहते हैं। दोनों हिमवान पर्वतके अग्रभागोंमें भेडियाके मुखवाले और चतिके मुखवाले मनुष्य रहते हैं। दोनों शिखरी पर्वतोंके अग्रभागों में शृगाल और भालू सरीखे मुखवाले मनुष्य रहते हैं। दोनों विजयाधाके अग्रभागोंमें झाडी और चीते सरीखे मुखवाले मनुष्य रहते हैं। वाह्य अभ्गतर जातिके मध्यमें भी चौते सरीखे मुखवाले मनुष्य रहते हैं। इन समस्त कुभोग भूमियोंका आयु वर्ण गृह और आहार, लवण समुद्रके कुभोगभूमियोंके समान समझना चाहिये जहॉपर समुद्रका तट छिन्न भिन्न है वहांपर समस्त द्वीप हजार हजार योजन गहरे हैं। कालोद समुद्रमें कुछ आधिक पांचसौ अंतर द्वीप और इनका विस्तार लवण समुद्रके अंतर द्वीपोंसे दूना है। कालोद समुद्र में कुभागेभूमियोंके रहने के स्थान चौवीस द्वीप तो भीतर हैं और चौवीस ही वाहिर हैं एवं लवणोद और कालोद दोनों के मिलकर समस्त अंतर द्वीप छयानवै हैं। (हरिवंशपुराण श्लोक ५६० से ५७३ सर्ग ५वां)॥ ३३ ॥ ___ कालोद समुद्रको चारो और वेडनेवाला पुष्कर द्वीप है। और वह सोलह लाख योजन प्रमाण चौडा है। जिसप्रकार घातकखिंड द्वीपमें द्वीप समुद्रके दिगुणपनेका निश्चय कर आये हैं उसीप्रकार धातकी खंड के समान ही पुष्करार्धमें क्षेत्र आदिकी दिगुणताका विशेष प्रतिपादन करनेकेलिये सूत्रकार सूत्र कहते है
LADAPANERUARRESTANJAREFREEGATESARGEOGANG
%AMERIEn-ore