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________________ अचान पद्म सरोवरके कमलके पचे एक कोश लंबे हैं। दो कोश चौडी कणिका (कली) है इस रूप है वह कमल एक योजन लंबा चौडा है । यहाँपर योजनका अर्थ योजन प्रमाण है। इस पद्म सरोवर के र कमलका नाल जलके तलभागसे दो कोश ऊंचा है, दो कोश प्रमाण मोटा पत्तों का समूह है, मूल भाग वज्रमयी है, अरिष्ट (नील) मणिमयी कंद है । रजतमणिमयी मृगाल दंड है । वैडूर्यमणिमयी नाल (पृष्ठभागकी रेखा) है। उसका बाहिरका पत्र तपे हुए सोने के समान है, भीतरी पत्र जांबूनद सोने के समान है, केसर ( तंतु ) तपे सुवर्णके समान है। नाना प्रकारकी मणियोंसे गुंफित सुवर्गमयी कार्गका है। I तथा अपनेसे आधे प्रमाणके ऊंचे एकसौ आठ कमलोंसे परिवेष्टित है ऐसा मनोहर यह कमल है।। ___ इस कमलका पूर्वोत्तर ईशानकोन, उचरपश्चिम वायुकोन और उत्तरदिशा इसप्रकार इन तीनों दिशाओंमें चार हजार कमल हैं और उनमें श्रीदेवी के परिवारखरूप सामाजिक जातिके देवगण रहते या है। दक्षिण और पूर्वदिशाके मध्यभागमें रहनेवाले अग्निकोणमें बचीस हजार कमल ई और उनमें All श्रीदेवीकी अंतरंग सभाके देव रहते हैं। दक्षिण दिशामें चालीस हजार कमल और उनमध्यप्रसभाके या देव रहते हैं । दक्षिण और पश्चिमदिशाके मध्यस्थ नैऋसकोणमें अडतालीस हजार काल हैं और उनमें वाह्यसभाके देव रहते हैं । पश्चिमदिशामें सात कमल हैं और उनमें इस्त्री, अश्व, रय, बैल, गंजी, मित्रा | और नर्तकी इस सात प्रकारकी सेनाके नायक सात महचर देव निवास करते हैं। पूर्व आदि चारो महादिशाओंमें सोलह हजार कमल हैं और उनमें आत्मरक्ष जातिके देवगण निवास करते हैं। ये समत कमलपद्म नामक कमलके परिवार कमल हैं । एक लाख चालीस हजार एकसौ पंद्रह हैं और पद्म Mail कमलसे आधी ऊंचाईके धारक हैं ॥१७॥ कछवनकशकशन BHOPADMROOPERATOPA - T I
SR No.010551
Book TitleTattvartha raj Varttikalankara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages1259
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size2 MB
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