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भाषा
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प्रदेश ऊपर चढ जानेपर चौडाईमें एक प्रदेश घट जाता है। ग्यारह कोश पहुंचने पर एक कोश कम हो जाता है और ग्यारह योजन चढनेपर एक योजन घट जाता है । शिखरपर्यंत यह हानि सर्वत्र समझ लेनी चाहिये तथा शिखरभाग से भूमितल की ओर आनेसे ग्यारह प्रदेशों के उतरने के बाद चौडाई में एक प्रदेश बढ जाता हैं । ग्यारह योजन प्रमाण उतरने के बाद एक योजन बढ जाता है इसीप्रकार ग्यारह कोश उतरने के बाद एक कोश बढ जाता है । अधस्तल पर्यंत यह वृद्धि सर्वत्र समझ लेनी चाहिये । (यह विषय और भी विस्तारसे त्रिलोकसार और हरिवंशपुराण से जान लेना चाहिये ) प्रश्न - रम्यकक्षेत्र की रम्यक संज्ञा क्यों है ? उत्तर
. रमणीयदेशयोगाद्रम्यकाभिधानं ॥ १४ ॥
महानोर नदी पर्वत और वन आदि प्रदेशों से शोभायमान है इसलिये उन मनोहर नदी आदि प्रदेशों के संबंध से क्षेत्रका नाम भी रम्यकक्षेत्र है । शंका- .
यदि रमणीक नदी आदि प्रदेशों के संबंध से क्षेत्र का नाम रम्यक माना जायगा तो रमणीक प्रदेश तो अन्य क्षेत्रों में भी विद्यमान है इसलिये उन्हें भी रम्थक कहना होगा ? सो ठीक नहीं। जिसप्रकार जो गमन करे वह गौ है इस व्युत्पत्ति के अनुसार गो शब्द गमनक्रियाले उपलक्षित है तथापि रूढवल उसका पशुविशेष गाय ही अर्थ लिया जाता है उसीप्रकार यद्यपि रमणीक नदी आदि प्रदेशों के धारक और भी क्षेत्र हैं तथापि रुढिवलसे इसी क्षेत्रका नाम रम्यक क्षेत्र लिया गया है अतएव व्याकरणानुसार संज्ञा (नाम) द्योतित करनेकेलिए ही (रम्प - क= रम्यक) के प्रत्यप किया गया है। प्रश्न-रम्पक क्षेत्र कहां पर है ? उत्तर-
そのあとのそのてって
ध्याय
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