________________
CS
अपार
ARRESPEASANGRECASTISAUR
समझ किसी चीजको चाखते हैं तो जीभ पर रखते ही जीभके खंड खंड हो जाते हैं। सुगंधकी जगह है दुगंधका कष्ट भोगना पडता है महा कुरूप आकृति रहती है और महा कटुक शब्द सुनने पड़ते हैं।
__ अशुभ नाम कर्मके उदयसे सदा नारकियोंका शरीर अशुभ रहता है। अंग उपांग स्पर्श रस गंध ६ वर्ण और बोलचाल महा अशुभ रहते हैं। उनका महानिकृष्ट हुंडक संस्थान रहता है । पंख और बालोंके
उखाड लेने पर जिस प्रकार अंडेसे उत्पन्न हुये मुर्गा आदि पक्षियोंका भयानक शरीर हो जाता है उसी ६ ₹ प्रकार उन नारकियों के शरीर भी महा भयानक होते हैं। नारकियों के देखने मात्रसे या तो परिणामोंमें हूँ । क्रूरता उत्पन्न हो जाती है या करुणाभाव या ग्लानि और भय उत्पन्न हो जाता है।
तथा जिस प्रकार औदारिक शरीरमें कफ मूत्र विष्टा मल रुधिर नसा मज्जा पीब वमि महा दुर्गधित मांस केश इड्डी चाम आदि अशुभ पदार्थ रहते हैं उससे महा अधिक नारकियों के वैकियिक भी शरीरमें रहते हैं। नारकियों के शरीरकी ऊंचाई पहिले नरकमें सात धनुष तीन हाथ छह अंगुल प्रमाण है। नीचे नीचेके नरकोंमें इससे दूनी दूनी समझ लेनी चाहिये । खुलासा इस प्रकार है
पहिले नरको तेरह पाथडे बतला आए हैं। उनमें पहिले सीमंतक पाथडेमें नारकियों के शरीरको है ऊंचाई तीन हाथ है। दूसरेमें एक धनुष एक हाथ और साढे आठ अंगुल प्रमाण है। तीसरेमें एक धनुष र तीन हाथ और सत्रह अंगुल है। चौथेमें दो धनुष दो हाथ और डेढ अंगुल है। पांचवेंमें तीन धनुष
दो अंगुल है। छठेमें तीन धनुष दो हाथ और साढे अठारह अंगुल है । सातवेंमें चार धनुष एक हाथ
और तीन अंगुल है ।आठवें में चार धनुष तीन हाथ साढे ग्यारह अंगुल है नववेमें पांच धनुष एक हाथ वीस अंगुल है दशमें छह धनुष साढे चार अंगुल है । ग्यारहवेमें छह धनुष दो हाथ और तेरह अंगुल
८०१