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अब्बार
एकांतेनानादित्वे चानिर्मोक्षप्रसंगः॥५॥ यदि तैजस और कार्मणका आत्माके साथ सर्वथा अनादिसंबंध ही मानाजायगा तोजिसप्रकार आकाश || पदार्थ अनादि है, उसका अंत नहीं होता उसी प्रकार तैजस कार्मणका संबंध भी अनादि होनेसे उसका भी नाश न हो सकेगा फिर वह कार्य कारण संबंध भी न कहा जायगा इसरीतिसे तैजस कामण शरीरों
की कभी भी नास्ति न होनेसे आत्माका मोक्ष हीन हो सकेगा इसलिये तैजस कार्मणका आत्माके साथ BI सर्वथा अनादि संबंध मानना अयुक्त है। यदि यहाँपर यह शंका की जाय कि
| बीज और वृक्षका भी अनादि संबंध है किंतु अग्निके द्वारा बीज और वृक्षके भस्म हो जानेपर है जिसप्रकार उनका अनादि भी संबंध नष्ट हो जाता है उसीप्रकार तैजस कार्मणका अनादि संबंध नष्ट || हो सकता है इसलिये मोक्षका अभाव नहीं हो सकता ? सो भी ठीक नहीं। बीर्य और वृक्षका कार्य | All कारण संबंध सर्वथा अनादि नहीं किंतु जिससमय सामान्यकी विवक्षा की जायगी उससमय अनादि ।
संबंध है और जिससमय विशेष रूपसे विवक्षा है उससमय सादि है इसरीतिसे ऊपर जो यह कहा गया | था कि किसी प्रकारसे अर्थात् सामान्यकी अपेक्षा आत्माके साथ तैजस और कार्मण शरीरका अनादि 1 संबंध है और किसी प्रकारसे अर्थात् विशेषकी अपेक्षा सादि संबंध है यह बात युक्तियुक्त है ॥४॥
तैजस और कार्मण शरीर खास खास जीवोंमें होते हैं वा सामान्यसे सभी जीवोंके होते हैं? सूत्र| कार इस शंकाका उचर देते हैं
सर्वस्य॥१२॥ तैजस और कार्मण ये दोनों शरीर सामान्यरूपसे समस्त संसारी जीवोंके होते हैं।"
YOUTABAS
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