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अब्बाव
बकरा. ELT
' औदारिकसे आगेके शरीर यदि उत्तरोचर सूक्ष्म हैं तो उनके प्रदेश भी उचरोचर कम होने चाहिए। | इस विपरीत शंकाका सूत्रकार परिहार करते हैं
... प्रदेशतोऽसंख्येयगुणं प्राक् तैजसात् ॥३८॥" . प्रदेशोंकी अपेक्षा तैजस शरीरसे पाहेले पहिलेके शरीर असख्यात गुणे हैं अर्थात् औदारिक शरीरमें जितने प्रदेश हैं उनसे असंख्यातगुणे वैक्रियिक शरीर में है और वैक्रियिक शरीरसे असंख्यात गुणे आहारक शरीरमें हैं। . .
प्रदेशाः परमाणवः॥१॥ जो भिन्न भिन्न अंशरूप विभक्त हों उन्हें प्रदेश कहते हैं । घट आदिमें अवयवरूपसे वे कहे जाते हैं और उनका अर्थ परमाणु है। अथवा जिनके द्वारा भिन्न भिन्न अंश किए जाय उन्हें प्रदेश कहते हैं। आकाश आदि द्रव्योंके क्षेत्रोंका विभाग प्रदेशोंके द्वारा ही होता है। .
पदेशेभ्यः प्रदेशतः ॥२॥ देशैर्वा प्रदेशतः॥३॥ अपादानेऽडीयरुहोः' इस सूत्रप्से पंचम्यंत प्रदेशशब्दसे तस् प्रत्यय करनेपर 'प्रदेशतः शन्द सिद्ध । सा हुआ है अथवा व्याकरणमें तस्का जहाँपर प्रकरण चला है वहांपर आधादिभ्य उपसंख्यानं यह वार्तिक
है उसका 'आदि प्रभृति शब्दोंसे तस् प्रत्यय होता है' यह अर्थ है यहाँपर आधादिगणमें प्रदेश शन्दको IS मानकर तृतीयांत प्रदेश शब्दसे तस् प्रत्यय करनेपर 'प्रदेशतः' यह सिद्ध हुआ है।
१-'अगदानेहीयरहो' ४-२-६२ हीयरहवर्जितस्थ पोः संबंपिन्यपादाने कापिहिता तवंतातसिर्या भवति प्रामादागच्छति ७२० ग्रामतः । जैनेन्द्रलघुवति।
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