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________________ . अब्बास -%EPE घट पट आदि शब्दोंके उच्चारण करते ही उन पदार्थोके जानकार पुरुषको जिसके द्वारा अपने || वाच्य पदार्थका ज्ञान हो वह शब्दनय है और लिंग संख्या साधन आदिमें जो व्यवहारनयसे माना हुआ | अन्याय है-व्यभिचार है उसके दूर करनेकेलिये है। पुलिंग स्त्रीलिंग और नपुंसकलिंगके भेदसे लिंगके तीन भेद हैं। एकवचन द्विवचन और बहुवचनके भेदसे संख्या तीन प्रकार है । प्रथम पुरुष मध्यम पुरुष और उत्तम पुरुष साधन है अथवा युष्मद् और अस्मद् शब्द साधन है। साधनादि यहां पर जो आदि । शब्द है उससे काल आदिका ग्रहण है । इन लिंग-काल आदि संबंधी व्यभिचारोंकी निवृत्ति करना ही शब्दनयका विषय है। स्त्रीलिंगके स्थानपर पुलिंगका कहना और पुल्लिंगके स्थानपर स्त्रीलिंगका कहना आदि लिंगव्यभिचार है । जिसतरह-तारका स्वातिः' स्वाति नक्षत्र तारे हैं। यहांपर तारका शब्द स्त्रीलिंग और । स्वाति शब्द पुंलिंग है इसलिये स्त्रीलिंगकी जगह पुल्लिंग व्यभिचार है । ‘अवगमो विद्या' ज्ञान विद्या है। यहां पर अवगम शब्द पुंल्लिंग और विद्या शब्द स्त्रीलिंग है। यहां पर पुल्लिंगकी जगह स्त्रीलिंग ६ कहनेसे लिंगव्यभिचार है। 'वीणा आतोय' वीनवाजा, आतोद्य कहा जाता है । इस स्थानपर बीणा * स्रोलिंग और आतोय नपुंसकलिंग है इसलिये स्त्रीलिंगकी जगह नपुंसकलिंग कहनेसे लिंग व्यभिचार IAL है । 'आयुधः शक्तिः शक्ति आयुध है। यहां पर आयुध नपुंसकलिंग और शक्ति स्त्रीलिंग है। यहां पर नपुंसकलिंगकी जगह स्त्रीलिंग कहनेसे लिंग व्यभिचार है । 'पटो वस्त्रे' कपडा वस्त्र है यहां पर पट, 15 पुल्लिंग और वस्त्र: नपुंसकलिंग है। पुल्लिंगकी जगह नपुंसकलिंग कहनेसे व्यभिचार है । 'द्रव्यं १ यह दूसरा पक्ष श्लोकवार्तिक और तस्वार्थराजवार्तिककी प्राचीन भाषाके अनुसार लिखा गया है। PRERBACCINSAECAURBAR । 1C -
SR No.010551
Book TitleTattvartha raj Varttikalankara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages1259
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size2 MB
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