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________________ २- PEECANS IMl इसलिये विज्ञान एक निराकार पदार्थ है, जीव आदिस्वरूप उसका कोई भी सत् आकार नहीं। तथातरा० मध्यान | जीव शब्द भी कोई पदार्थ नहीं क्योंकि शब्द या तो पदरूप हो सकता है या वाक्यरूप हो सक्ती भाषा | है सो वह दोनों ही स्वरूप नहीं हो सकता अथवा दोनों ही एक कालके अवयव स्वरूप नहीं हो सकते | अर्थात् शुद्ध एक समयमें पदस्वरूप वा वाक्यस्वरूप शब्दका उच्चारण नहीं हो सकता इसलिये भी उनसे | दोनोंकी नास्ति है । यदि यहांपर यह कहा जाय कि जबे जीव शब्दका अभाव मान लिया जायगा तब ६ | जीव शब्दका जो संसारमें ग्रहण होता है वह न होना चाहिये । उसका समाधान यह है कि जिन अन्य | सिद्धांतकारोंने वर्गों की विभागकल्पना कर रक्खी है उन वर्गों के विभागोंसे अनुक्रमसे प्राप्त की हुई शक्तिकी धारक बुद्धिओंमें, शक्तिकी परिपूर्णता होनेपर जिसमें समस्त वर्णोंका विभाग अस्त है ऐसे विज्ञानको ही जीवशब्द मान लिया गया है किन्तु विज्ञानसे भिन्न कोई भी जीवशब्द नामका पदार्थ नहीं । तथा यह भी बात है कि'. अन्य सिद्धांतकारों की अपेक्षा जीवशब्दको जो विज्ञानस्वरूप कहा गया है वह भी ठीक नहीं क्योंकि विज्ञानको क्षणविनाशीक प्रत्यर्थवशवर्ती अर्थात् हर एक पदार्थको कम क्रमसे विषय करनेवाला माना है । उससे पूर्वापर पदार्थों के प्रतिभासन करनेकी सामर्थ्य नहीं हो सकती । पूर्वापर पदार्थस्वरूप जीवशब्दको विज्ञान एक क्षणमें विषय नहीं कर सकता इसलिये वास्तवमें जीवशब्द विज्ञानस्वरूप हो ही नहीं सकता? जैनाचार्य इस विस्तृत प्रश्नका समाधान देते १-यह सिद्धांत बौद्ध विशेषका है। उसके मतम काल भी एक प्रकारकी उपाधि मानी गई है । जो कार्य'एक क्षणके अन्दर निष्पन्न होने|| वाला हो उसे तो वह वस्तुभूत मानता है किंतु जिसकी निष्पत्ति क्षणसे अधिक कालमें हो उसे वह अवस्तुभूत अर्थात् वह कोई पदार्थ है। ही नहीं पेसा मानता है। पदरूप धा वाक्यरूप शब्द पक क्षणमें निष्पन्न नहीं होसकता इसलिये वह अवस्तुभूत अर्थात् हो ही नहीं सकता है। १४९ PECASIBIRHABHARIDABASERECREENSIDERENCES -CIRCASSANSARSNECSCREERIE%
SR No.010551
Book TitleTattvartha raj Varttikalankara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages1259
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size2 MB
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