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________________ सरा | अध्याय भाषा २००५ BRAIGAOR सौधर्म और ऐशान स्वर्गों के विमान कृष्ण नील रक्त पीत और श्वेत पंचवर्ण हैं। सानत्कुमार और माहेंद्र स्वगोंके विमान कृष्ण वर्णके सिवाय शेष वर्णवाले हैं। ब्रह्म ब्रह्मोचर लांतव और कापिष्ठ स्वर्गोंके विमान कृष्ण और नीलके सिवाय लाल पीले और सफेद हैं। शुक्र महाशुक्र शतार सहस्रार ऑनत प्राणत आरण और अच्युत स्वर्गों के विमान पीले और सफेद दो ही वर्णवाले हैं । अवेयक अनुदिश और अनुत्तर विमान केवल सफेद वर्णके ही हैं। तथा सर्वार्थसिद्धि विमान परम शुक्ल वर्णका है । यहांपर | इतना ऊपरसे विशेष और समझ लेना चाहिये सौधर्म और ऐशान स्वर्गों के विमान घनोदाधिके आधार हैं। सानत्कुमार और माहेंद्र स्वर्गों के विमान | घनवात वलयके आधार हैं। ब्रह्म स्वर्गसे बारहवें सहस्रार स्वर्गपर्यंतके विमान घनोदधि और धनवात दोनों बलयोंके आधार हैं और शेष विमान आकाशमें टिके हुये हैं समस्त स्वर्गों में अपने अपने श्रेणिबद्ध विमानों में इंद्रोंका निवास है। प्रत्येक युगलके आदि स्वर्गों में अर्थात् सौधर्म १ सानत्कुमार २ ब्रह्म ३ | शुक्र ४ आनत ५ और आरण ६ में रहनेवाले इंद्र दक्षिण दिशामें और ऐशान १ माहेंद्र २ लांतव ३ | शतार प्राणत ५ और अच्युत स्वर्गों में रहनेवाले इंद्र उत्तर दिशामें रहते हैं ॥१९॥ __जिन वैमानिक देवोंका ऊपर उल्लेख किया गया है उनकी आपसमें विशेषता प्रतिपादन करनेके | लिए सूत्रकार सूत्र कहते हैं १-मानत पाणत वारणा और अच्युत स्वर्गाके विमानोंको हरिवंशपुराणमें केवल श्वेतवर्ण कहा है । २ हरिवंशपुराण पृष्ठ संख्या १५॥ १९८५ १३७
SR No.010551
Book TitleTattvartha raj Varttikalankara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages1259
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size2 MB
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