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ABASAHA
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ब्रह्मोचर नामक इंद्रक विमानके ऊपर लाखों योजनोंके बाद लांतवे और कापिष्ठ नामके दो स्वर्ग हैं। इनमें ब्रह्महृदय और लांतव नामक दो पटल हैं। लांतव विमानकी दक्षिणश्रोणके उन्नीस विमानोंमें अध्याव नववें विमानका नाम कल्प है और उसका स्वामी लांतव नामका इंद्र है। इस लांतव इंद्रके कुछ अधिक है। पच्चीस हजार विमान हैं। तेतीस त्रायस्त्रिंश देव हैं। चौबीस हजार सामानिक देव हैं। तीन सभा, सात प्रकारकी सेना, चौबीस हजार आत्मरक्ष देव और चार लोकपाल हैं। सौधर्म इंद्रकी पट्टदेवियोंके जो || नाम कह आए हैं उन्हीं नामोंकी धारक लांतव इंद्रकी भी आठ पट्टदेवियां है और उनकी सत्रह पल्यकी
आयु है। हर एक पट्टदेवी दो दो हजार देवियोंसे परिवारित है। इन पट्टदोवयोंके सिवाय पांचसौ वल्ल छ। || भिका देवियां हैं और उनकी भी सत्रह सत्रह पल्यकी आयु है। तथा हर एक पट्टदेवी और हर एकहूँ| || वल्लभिका देवी एक लाख अट्ठाईस हजार देवियोंका रूप अपनी विक्रियासे धारण कर सकती है।
लांतव इंद्रकी अभ्यंतर सभाका नाम समिता है और वह एक हजार देवोंकी है। इस अभ्यंतर है। सभाके प्रत्येक देवकी आयुं कुछ अधिक दश सागरप्रमाण है और हर एकके सचासी सचासी देवियां हैं। मध्य सभाका नाम चंद्रा है। उसमें रहनेवाले दो इंजार देव हैं। इस मध्य सभामें रहनेवाले प्रत्येक देवकी
आयु कुछ कम दश सागरप्रमाण है और हर एकके पिचहचर २ देवियां हैं। वाह्य सभाका नाम जातु है | | वह चार हजार देवोंकी है। इस वाह्य सभाके रहनेवाले देवोंकी आयु मध्य सभाके रहनेवाले देवोंसे कुछ || कम है और प्रत्येकके सठि सठि देवियां हैं। . ___लांतव इंद्रका वालक नामका आभियोग्य देव है । वाह्य सभाके देवोंकी जो आयु कह आए हैं उतनी ही इसकी आयु है और साठि देवियां हैं। सातो प्रकारकी सेना और उसके महचरोंकी आयु मध्यम
आयु कह आए है उतना १०६९ १३५
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