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अध्याप
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इकसठ भागों से छप्पन भागप्रमाण चौडे लो, अट्ठाईस भागप्रमाण मोटे, एवं पूर्व आदि दिशाओं में क्रमसे सिंह हाथी घोडा और बैलोंके रूपोंकी विक्रियाओंके धारक सोलह हजार देवोंसे वेष्टित हैं। इन विमानोंके ऊपर चंद्र नामके देव रहते हैं। प्रत्येककी चारचार पटरानियां हैं। चंद्रप्रभा सुसीमा आर्च| मालिनी और-प्रभंकग ये उनके नाम हैं। इनमें प्रत्येक पटरानी अपनी विक्रियासे चार चार हजार | देवियोंके रूप धारण करनेमें समर्थ हैं। इन मनोहारिणी देवियोंके साथ अनेक उत्तमोचम दिव्यसुखोंके | भोगनेवाले असंख्यात लाख विमानोंके स्वामी चंद्रदेव निरंतर आकाशमंडलमें घूमा करते हैं। ___अंजनके समान काली प्रभाके धारक अरिष्टमणिमयी राह के विमान हैं ये विमान एक योजन लंबे चौडे और ढाईसौ धनुषमोटे हैं। नवीन मल्लिका (चमेली) पुष्पकी प्रभाके धारक, चांदीके रंगके शुक्रके
विमान हैं। ये एक कोश लंबे चौडे हैं। जातिमान मुक्ताफलकी कांतिके समान, अंकमणिमयी वृहस्पतिके 5 विमान हैं। ये विमान कुछ कम एक कोश लंबे चौडे हैं । सुवर्णमयी अर्जुनपुष्पके वर्णके बुधक विमान । है है। सुवर्णमयी और तपहुए सुवर्णके समान कांतिके घारक शनीचरके विमान हैं। लोहिताक्षमणिमयी है तपे सोनेके समान प्रभाके धारक मंगलके विमान हैं। बुध आदिके विमान आधा कोश लेबे चौडे हैं।
शुक्र आदिके विमान राहुके विमानोंके समान मोटे हैं। राहु आदि विमानोंमें प्रत्येक विमान चार चार हजार देवोंसे ले जाए जाते हैं। नक्षत्र विमानोंमें प्रत्येक विमानको चार चार हजार देव ले चलनेवाले र हैं। तारका आदि विमानों में प्रत्येक विमानके दो दो हजार देव वाहक हैं। राहु आदिके आभियोग्य जातिके देवोंकी रूपविक्रिया चंद्रमाके समान है अर्थात् सिंह हाथी बेल और घोडाके रूपोंको विक्रियासे धारण कर वे विमानोंको वडन करते हैं। १-माचीन भाषाकारने 'बैल और घोडोंके रूपोकी विक्रियाके धारक' यह उलटफेरकर अर्य किया है। २ यहां 'आठ' झेना चाहिये।