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सूत्र-विभाग-३६. दश प्रत्याख्यानों के पृथक्-पृथक् पाठ [ २२५
प्रत्याख्यान पारने का पाठ विधि : एक नमस्कार मत्र का उच्चारण करके जिस प्रत्याख्यान को पारना हो, उसका नाम बोलते हुए निम्न पाठ
पढे।
....... पच्चक्खारणं कर्य' : जो प्रत्याख्यान किया तं, पच्चक्खाणं : उस, प्रत्याख्यान का सम्मं काएरणं : सम्यक् रूप मे,'काया से १. फासियं
: (आरभ मे प्रत्याख्यान का पाठ पढ
__कर) स्पर्श किया २. पालियं
: (मध्य मे पाहार छोड कर) पालन
किया
३. सोहिये
(लगे हुए अतिचारों की आलोचना
करके) शुद्ध किया ४. तीरियं
: (अन्त में नमस्कार मत्र का उच्चारण
___करके) तीर पर पहुँचाया ५. किट्टियं : (गुण का) कीर्तन किया (इस प्रकार) पाराहिय .: (यथाशक्य) आराधन किया प्रारणाए अणुपालियं : आज्ञा के अनुसार अनुपालन किया भव
(फिर भी यदि कोई त्रुटि रही हो, जं च न भवद : और जो अनुपालन न हुआ हो, तो तस्स मिच्छामि दुवकर्ड : उसका मिथ्या हो मेरा पाप। मर्थ, मावार्य, प्रश्नोत्तर, निबंध और प्रासगिक जानकारी सहित
-श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र समाप्त
इति १: सूत्र-विभाग समरप्त