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________________ Tठमाला ४० ] जैन सुबोध पाठमाला -भाग १ पाठ १२ बारहवाँ रायस्स नवमस्स : सामायिक पारने का पाठ १. एयस्स नवमस्स सामाइय-वयस्स पंच अइयारा जारिणयव्वा, न समायरियवा। तं जहा-मरणदुप्पणिहाणे, वयदुप्परिणहाणे, कायदुप्परिणहाणे सामाइयस्स सइ-अकरण्या, सामाइयस्स अगवट्टियस्स करणया। तस्स मिच्छा मि दुक्कडं। २. सामाइयं सम्म काएरणं न फासियं न पालियं न तीरियं न किट्टियं न सोहियं न पाराहियं। प्रारणाए अणुपालियं न भवइ। तस्स मिच्छा मि दुक्कडं । हिन्दी पाठ ३. दस मन के, दस वचन के और बारह काया के-इन सामायिक के बत्तीस दोष में से किसी दोष का सेवन किया हो, तो 'तस्स मिच्छा मि दुक्कडं' । ४. स्त्री-कथा, भात-कथा, देश-कथा और राजकथा-इन चारों में से कोई विकथा को हो, तो 'तस्स मिच्छा मि दुक्कडं। ५. आहारसंज्ञा, भयसंज्ञा, मैथुनसंज्ञा और परिग्रह संज्ञा-इनमें से कोई संज्ञा की हो, तो तस्त मिच्छामि दुक्कडं।
SR No.010546
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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