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जैन सुवोध पाठमाला--भाग १
१. अरिहत, २. सिद्ध, ३. साधु और ४. केवलि प्ररूपित धर्म-ये चार मगल हैं तथा लोकोत्तम हैं। अत. इनकी शरण लेनी चाहिए। इसलिए मैं इनकी शरण लेता हूँ।
पाठ १० दसवाँ करेमि भन्ने : प्रत्याख्यान का पाठ
करेमि भन्ते ! सामाइयं। सावज्ज-जोग पञ्चक्खामि, जाव नियमं पज्जुवासामि दुविहं तिविहेणं न करेमि न कारवेमि, मरणमा, वयसा, कायसा। तस्स भते पडिक्कमामि, निदामि, गरिहामि, अप्पारणं वोसिरामि । शव्दार्थ :
प्रतिज्ञा भन्ते ! हे भगवन् । सामाइयं सामायिक । करेमि= करता हूँ।
द्रव्य से सावज्ज-सावद्य। जोगंजोग का। पच्चवखामि-प्रत्याख्यान करता हूँ।
क्षेत्र से सम्पूर्ण लोक प्रमाण प्रत्याख्यान करता
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