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कथा-विभाग- ६ छोटी बहू रोहिणी [ २६६ बह ने क्या किया। किसने उनकी रक्षा की ? किसने उनको गुप्त रक्खा ? किसने उनकी वृद्धि की ?'
दूसरे दिन उन्होने पहले के समान सबको इकट्ठे करके भोजन जिमाकर विश्राम के समय सब के सामने बडी बहू
उज्झिता को बुलाकर कहा-'वेटी | पिछले पाँचवे वर्ष में मैंने __ जो तुम्हे पाँच शालि दिये थे, वे मुझे लाकर दो।'
१ तब उस बडी बहू ने कोठार मे से पाँच बीज निकाल कर उन्हे ससुर को लाकर दिये। तब धन्ना ने शपथ दिलाकर उसे पूछा-'बेटी । सच-सच बता, क्या ये वे ही बोज है, जिन्हे मैंने पाँचवे वर्ष तुम्हे दिये थे ?' तब उसने सब बात सच-सच कह दी। बीजो के फेकने की बात सुनकर धन्ना को बहुत क्रोध पाया। उन्होने सबके सामने उस उमिता को घर की दासी का काम सौप दिया। इससे उज्झिता को बहुत पश्चात्ताप हुआ।
२. दूसरी बहू भोगवती की भी यही स्थिति हुई। पर उसने बीज फेंके नहीं थे, परन्तु खाकर काम मे ही लिये थे। इसलिए धन्ना ने भोगवती को दासी न बनाकर रसोईन का काम सौंपा।
३. तीसरी बह रक्षिता से बीज मागने पर उसने अपनी आभूषणो की पेटी मे रक्खे हुए रक्षित व गुप्त पाँच शालि लाकर दिये। धन्ना द्वारा शपथपूर्वक सच-सच बात पूछने पर रक्षिता ने 'ससुर द्वारा शालि मिलने पर उसे क्या विचार हुए ? तथा उसने किस प्रकार उनका सरक्षण सगोपन किया'- ये सारी बाते ससुर को बताई और कहा - 'पिताजी | इसलिए ये बीज वे ही है, जो आपने मुझे दिये थे।'