________________
गठ ४–तिक्खुत्तो प्रश्नोत्तरी [ (ग) उपदेश के प्रति अनुराग रखना और उसे पालने की भावना बनाना मानसिक पर्युपासना है।
वन्दना कहाँ करनी चाहिए? उ० १ यदि अरिहतादि अपने नगर, गाँव आदि मे बिराजे हो,
तो उनकी सेवा मे पहुँचकर वन्दना करने से महा फल होता है। यदि बहुत दूर हो, तो उत्तर या पूर्व दिशा मे दोनो दिशा के बीच ईशानकोण मे मुंह करके तथा अपने मन मे उन्हे अपने सामने कल्पना करके वन्दना करना चाहिए। २. सेवा मे साढे तीन हाथ लगभग दूर रहकर वन्दना करना चाहिए, जिससे अपने द्वारा उनकी आशातना
न हो। प्र० : वन्दना कब करना चाहिए ? उ० . १. नित्य प्रात काल, सायकाल, सेवा मे पहुँचते, सेवा से
लौटते, व्याख्यान सुनने के पहले व पीछे, ज्ञान ग्रहण करने के पहले व पीछे तथा प्रतिक्रमण के पहले व पीछे प्राज्ञादि लेते समय वन्दना करना चाहिए। २. जो हमसे बडे हो, उनके वन्दना कर लेने के पश्चात् अपना अवसर आने पर वन्दना करना चाहिए अथवा अधिक संख्या मे होने पर आज्ञा के अनुसार सब साथ मे मिलकर एक स्वर और एक समय मे वन्दना करना
चाहिए। प्र० · वन्दना कितनी बार करनी चाहिए ? उ० : तीन बार करनी चाहिए। १०८ बार भी की जा
सकती है। भावना की अपेक्षा १००८ बार भी की जा सकती है।
.
K