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________________ पाठ २५ - 'सामायिक' प्रश्नोत्तरी [ ६६ सोवे ही २. 'नमस्कार मन्त्र' ३. 'इच्छाकारेण' और ४. 'तस्सउत्तरी' बोलकर कायोत्सर्ग करे। कायोत्सर्ग मे ५. लोगस्स का ध्यान करे। सामायिक लेते समय कायोत्सर्ग में जैसे इच्छाकारेण के पाठ के कुछ आगे-पीछे के शब्द छोडे जाते हैं, वैसे लोगस्स में एक भी पद नहीं छोड़े अर्थात् 'लोगस्स से दिसतु' तक पूरा पाठ बोले । फिर 'रणमो अरिहताण' कहकर कायोत्सर्ग पारे। फिर एक प्रकट नमस्कार मन्त्र तथा कायोत्सर्ग पारने का पाठ कहे। फिर एक प्रकट लोगस्स कहे। • 'करेमि भते के पाठ से सामायिक ली जाती है।' इसलिए पारते समय वह पाठ न बोले। सीवे ही पहले के समान ७ दो नमोत्थुरणं दे। फिर सामायिक पारने का पाठ ८. 'एयस्स नवमस्स सामाइयवयम्स' पूरा कहे। फिर एक नमस्कार मन्त्र पढ़ें। यो यह सामायिक पारने की विधि पूरी हुई। प्र० : सामायिक की विधि खडे रहकर करना चाहिए या बैठकर ? उ० : जहाँ तक शरीर मे थोडी भी शक्ति हो, वहाँ तक मनोबल रखकर खडे रहकर विधि करना श्रेष्ठ है। शक्ति होते हुए भी बिना कारण' बैठे-बैठे सामायिक की विधि करने से 'अविनय-अबहुमान' नामक दोष लगता है। वारण होने पर भी जहाँ तक सम्भव हो, पर्यंक (पालथी-पालथी) श्रादि अच्छे आसन लगाकर बैठे। कुप्रासन से नही बैठे। प्र० : खडे रहने की विधि क्या है ? . उ० : सशक्त और कारणरहित अवस्था मे खडे रहते समय
SR No.010546
Book TitleSubodh Jain Pathmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherSthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages311
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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