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संजद पद पर विचार
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धवल सिद्धान्त शाख के ६३ में सूत्र में संजद पद नहीं है क्यों कि वह सूत्र द्रव्य स्त्री के हो गुणस्थानों का प्रतिपादक है। परन्तु भावपक्षी सभी विनून एक मन से यह बात कहते हैं कि समस्य पद खण्डागम में कहीं भी द्रव्य वेद का वर्णन नहीं है, सर्वत्र भावभेद का ही बने है। द्रव्य स्त्री के कितने गुणस्थान होते हैं ? यह बात दूसरे प्रन्थों से जानी जासकती है, इस सिद्धान्त शाख से दो केवल भाववेद में संभव जो गुणस्थान हैं उन्हीं का वर्णन है । १० पन्नालाल जी सोनी० फूलचन्द जी शाखी १० जिनदास जी न्याय तीथे, माहिसभी भावपक्षी विद्वान सबस मुख्य बात यही बताते हैं कि समूचा सिद्धांत भाव निरूपक है, द्रव्य निरुपक
वह नही है।
सब्जद पद को ६३ वे सूत्र में रखने के पक्ष में भाववेदी विद्वानों के चार प्रख्यात हेतु इस प्रकार हैं
१ - समूचे सिद्धान्त शाख में ( षट् खण्डागम में ) सर्वत्र भाव वेद का ही पर्याग है, व्ब वेद का उसमें और गोमट्टसार में कहीं भी नहीं है ?
२- प्रज्ञापाधिकार में भी सर्वत्र भाव-वेद का ही वचन है क्योंकि उसमें मानुषी के चोदह गुणस्थान बताये गये हैं ?
३ - यदि पटू खण्डागम में द्रव्य बंद का वर्णन होता तो सूत्रों