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श्री सिद्धचक्र विधान
मोक्षमार्ग वा मोक्षश्रेय सब साधु हैं,
नमत निरन्तर हमहूँ कर्म रिपु को दहैं।
ॐ हीं साधुमोक्षस्वरूपाय नमः अध्यं ॥५०४॥ . सकल द्रव्य पर्याय विर्षे स्वज्ञान हो,
सत्यारथ निश्चल निश्चय परमाण हो। मोक्षमार्ग वा मोक्षश्रेय सब साधु हैं,.. _ नमत निरन्तर हमहूँ कर्म रिपु को दहैं।
____ ॐ ह्रीं साधुपरमानन्दाय नमः अयं ।।५०५॥ तीन लोक के पूज्य यतीजन ध्यावहीं,
कर्म-शत्रु को जीत अर्ह पद पावहीं। मोक्षमार्ग वा मोक्षश्रेय सब साधु हैं, • . नमत निरन्तर हमहूँ कर्म रिपु को दहैं॥ . ॐ ह्रीं साधुअर्हत्स्वरूपाय नमः अयं ॥५०६॥ .. परम इष्ट शिव साधत सिद्ध कहाइयो,
तीन लोक परमेष्ठि परमपद पाइयो। मोक्षमार्ग वा मोक्षश्रेय सब साधु हैं, _ नमत निरन्तर हमहूँ कर्म रिपु को दहैं।
ॐ ह्रीं साधुपरमेष्ठिने नमः अयं ॥५०७ ॥ शिव मारग प्रगटावन कारण हो तुम्हीं,
भविजन पतित उधारन तारन हो तुम्हीं। मोक्षमार्ग वा मोक्षश्रेय सब साधु हैं,
नमत निरन्तर हमहूँ कर्म रिपु को दहैं। ॐ ह्रीं साधुसूरिप्रकाशिने नमः अध्यं ॥५०८॥