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श्री सिद्धचक्र विधान
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सूरि सिद्धान्त के पारगामी भये,
- मैं नमूं जोरकर मोक्षधामी भये॥
ॐ ह्रीं सूरिऋद्धिऋषिभ्यो नमः अयं ॥२२३॥ योग के रोक से कर्म का रोक हो,
- गुप्त साधन किये साध्य शिवलोक हो। सूरि सिद्धान्त के पारगामी भये, _ मैं नमूं जोरकर मोक्षधामी भये॥
ॐ ह्रीं सूरिसुर्योगेभ्यो नमः अध्यं ॥२२४॥ ध्यान बल कर्म के नाश के हेतु है,
- कर्म को नाश शिववास ही देत है। सूरि सिद्धान्त के पारगामी भये,
. मैं नमूं जोरकर मोक्षधामी भये ॥ . ॐ ह्रीं सूरिध्यानेभ्यो नमः अर्घ्यं ॥२२५ ॥ पञ्चधाचार में आत्म अधिकार है,
बाह्य आधार आधेय सुविकार है। सूरि सिद्धान्त के पारगामी भये,
मैं नमूं जोरकर मोक्षधामी भये ॥
ॐ ह्रीं सूरिधातृभ्यो नमः अध्यं ॥२२६ ॥ सूर सम आप पर तेज करतार है,
सूरि ही मोक्षनिधि पात्र सुखकार है। सूरि सिद्धान्त के पारगामी भये,
. मैं नमूं जोरकर मोक्षधामी भये ॥ ___ ॐ ह्रीं सूरिपात्रेभ्यो नमः अयं ॥२२७॥
करतार
सूरि सिसूरि ही