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श्री सिद्धचक्र विधान
तीर्थङ्कर के समय में, केवली जिन अभिराम है। सिद्ध भये तिहुँ योग”, तिनके पद परणाम है।
ॐ ह्रीं तीर्थङ्करअरहन्तसिद्धेभ्यो नमः अयं ॥१२०॥ पञ्च शतक पच्चीस फुनि, धनुषकाय अभिराम है। सिद्ध भये तिहुँ योगरौं, तिनके पद परणाम है।
ॐ ह्रीं उत्कृष्टअवगाहनसिद्धेभ्यो नमः अर्घ्यं ॥१२१॥ आदि अन्त अन्तर विषै, मध्यअवगाहन नाम है। सिद्ध भये तिहुँ योगरौं, तिनके पद परणाम है।
ॐ ह्रीं भव्यअवगाहनसिद्धेभ्यो नमः अयं ॥१२२॥ .. तीन अर्घ तन केवली, हस्त प्रमाण कहाय है। सिद्ध भये तिहुँ योगरौं, तिनके पद परंणाम है।
ॐ ह्रीं जघन्यअवगाहनसिद्धेभ्यो नमः अर्घ्यं ॥१२३॥ देव निमित्त मिलो जहाँ, त्रिजग लोक सु धाम है। सिद्ध भये तिहुँ योगरौं, तिनके पद परणाम है।
. ॐ ह्रीं त्रिजगलोकसिद्धेभ्यो नमः अर्घ्यं ॥१२४॥ षट्विध परिणति काल की, तिन अपेक्ष यह नाम है। सिद्ध भये तिहुँ योगरौं, तिनके पद परणाम है।
ॐ ह्रीं षट्विधकालसिद्धेभ्यो नमः अर्घ्यं ॥१२५॥ अन्त समय उपसर्ग , शुकल ध्यान अभिराम है। सिद्ध भये तिहुँ योगरौं, तिनके पद परणाम है।
ॐ ह्रीं उपसर्गसिद्धेभ्यो नमः अयं ॥१२६॥ पर उपसर्ग मिलै नहीं, स्वतः शुक्ल शुभ धाम है। सिद्ध भये तिहुँ योगरौं, तिनके पद परणाम है।
ॐ ह्रीं निरुपसर्गसिद्धेभ्यो नमः अयं ॥१२७ ॥