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________________ -----amegeme - सिम शाही मंडल विधान == प्रस्तुत पाठ में एक ही जयमाला दो पूजनों में पाई जाती थी हमने वैसा न करके श्री १०८ आचार्य प्रवर पूज्यपाद स्वामी कृत सिद्धस्तोत्र को उस जयमाला की जगह रख दिया है। और उसका - हिन्दी आशय भी अन्य जयमालाओकी तरह हमने नहीं लिखा है। उसकी जगह हमने उक्त सिद्धस्तोत्र का बा. जुगलकिशोरजी सा. मुख्तार कृत पद्यानुवाद ही रखदिया है जो कि प्रायः सुन्दर है। इसके लिये हम मुख्तार सा. के आभारी है। आठवी पूजा के जितने मत्र है वे सब महापण्डित आशाधरजी कृत सहस्त्रनाम के आधार पर | ही है. इन नामों का अर्थ समझने में प्रायः विद्वानो को भी कठिनता प्रतीत होती थी, अतएव बम्बई के श्री १०५ ऐलक पन्नालाल दि.. जैन सरस्वती भवन से प्राप्त श्री श्रुतसागर सूारकृत प्राचीन संस्कृत टीका के आधार पर हमने ऐसे शब्दों की निरुक्ति और अर्थ देदिया है। कुछ महानुभावों की इच्छा थी कि आठवी पूजा के मत्रों को भगवजिनसेनाचार्यकृत सहस्रनाम के द्वारा परिवर्तित करदेना चाहिये. उनके सतोष के लिये भ. जिनसेनाचार्य के सहस्रनामगर्भित मत्र भी अन्त मे देदिये गये है। अतएव इस पाठ मे आठवीं पूजा का मत्र भाग दुहरा हो गया है। पूजन करने वाले सज्जनों को इनमें से यथारुचि किसी भी एक पाठ का उपयोग करलेना चाहिये ।
SR No.010543
Book TitleSiddhachakra Mandal Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages191
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size15 MB
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