________________
= (सिद्ध था। हीं
डल विधान -
सप्तम जयमालाका अर्थ
MIRMIRE
Dection
देवेन्द्रो, नरेद्रो और भवनवासियोके अधिपतियों-असुरेद्रोंके द्वारा जिनके चरण प्रतिदिन पूजे जाते है, ऐसे अर्हन् परमेष्ठी तथा अशरीर सिद्धपरमात्मा और आचार्य उपाध्याय साधु इस तरह तीन प्रकारके मुनिवरोको जो कि दोपोंके विनाशसे महान् , अपने २ समीचीन गुणरूपी भूषणोसे भूपित, और दर्शनज्ञान चारित्र आदिसे युक्त हैं, नमस्कार करके मै उनके गुणोकी प्राप्तिके लिये उनका स्तवन करता हूं ॥१॥
अनन्त चतुष्टयरूप गुण जिनमे विलास कर रहे है, चार घातिया कोका जाल जिन्होने तोड़ दिया है, समस्त अतिशय आदि सद्गुणोसे समृद्ध है ऐसे हे अर्हन् जिन भगवन् आप सदा जयवन्त रहें ॥२॥
आठ कर्मरूपी शत्रुओको जिन्होने दूर कर दिया है, विश्व मात्रको देखनेमे जो उत्कृष्ट सूर्यके समान है, जो सबसे उत्तम आठ गुणोसे पूर्ण है ऐसे हे सिद्धदेव आप जयवन्त रहे ॥३॥
पंचाचारका पालन करनेमे घोर, शिष्योका अनुग्रह करनेमें वीर, और स्थितिकल्प नामक दश गुणोका उपदेश करनेवाले गुणोसे समृद्ध हे आचार्य परमेष्ठिन् आप सदा जयवन्त रहे ॥४॥
ग्यारह अगोको जिन्होने अपने कण्ठका हार बना लिया है, और जिन्होने चतुर्दश पूर्वोका पार प्राप्त कर लिया है, तथा समस्त श्रुतसमुद्ररूपीगुणसे समृद्ध है ऐसे हे उपाध्याय परमेष्ठिन् आप सदा जयवन्त रहें ॥ ५॥
7
MONO
AWAN