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. . . श्रमण महावीर किया और उसकी वाणी ने महारानी के प्राणों का अपहरण कर लिया। अब शेप रह गया, उसका निष्प्राण और निस्पन्द शरीर। __महारानी के महाप्रयाण ने काकमुख का हृदय बदल दिया। उसकी आंखें खुल गईं। उसका मानवीय रूप जाग उठा । उसने अपने कार्य के प्रति सोचा। उसे लगा, जैसे महारानी का अपहरण करते समय वह उन्माद में धुत्त था। प्रत्येक आवेश मनुष्य को धुत्त कर देता है । अब उन्माद के उतर जाने पर उसे अपनी और अपने साथियों की चेष्टा की व्यर्थता का अनुभव हो रहा है। उन्माद की समाप्ति पर हर आदमी ऐसा ही अनुभव करता है। पर जो होना होता है, वह तो उन्माद की छाया में हो जाता है, फिर मूर्छा-भंग घटित घटना का पाप-प्रक्षालन कैसे कर सकता है ? ___ काकमुख का दायां हाथ पाप के रक्त से रंजित हो गया। उसका बायां हाथ अभी बच रहा था। वह उसके रक्त-रंजित होने की आशंका से भयभीत हो उठा। उसने वसुमती के सामने अपनी अधमता को उघाड़कर रख दिया। उसकी अश्रुपूरित आंखों में क्षमा की मांग सजीव हो उठी। हताश काकमुख व्यथित वसुमती को साथ लिये कौशाम्बी पहुंच गया।
वह युग मनुष्यों के विक्रय का युग था । आज हमें पशू-विक्रय स्वाभाविक लगता है । उस युग में मनुष्य-विक्रय इतना ही स्वाभाविक था। बिका हुआ मनुष्य दास बन जाता और वह खरीददार की चल-संपत्ति हो जाता। उस युग में मनुष्य का मूल्य आज जितना नहीं था। आज का मनुष्य पशु की श्रेणी से ऊंचा उठ गया है। इस आरोहण में दीर्घ तपस्वी महावीर की तपस्या का कम योग नहीं है ।
काकमुख वसुमती को लेकर मनुष्य-विक्रय के बाजार में उपस्थित हो गया। बाजार में बड़ी चहल-पहल है । सैकड़ों आदमी बिकने के लिए खड़े हैं । विक्रेताओं और क्रेताओं के बीच बोलियां लग रही हैं।
वसुमती राजकन्या थी। उसका रूप-लावण्य मुसकरा रहा था । यौवन उभार की दहलीज पर पैर रखे खड़ा था। इतनी रूपसी और शालीन कन्या की बिक्री ! सारा बाजार स्तब्ध रह गया।
हर ग्राहक ने वसुमती को खरीदना चाहा। पर उसका मोल इतना अधिक था कि उसे कोई खरीद नहीं सका।
उस समय श्रेष्ठी धनावह उधर से जा रहा था। उसने वसुमती को देखा। वह अवाक रह गया। उसे कन्या की कुलगरिमा और वर्तमान की दयनीय परिस्थितिदोनों की कल्पना हो गई। उसका हृदय करुणा से भर गया। वह भारी कीमत चुकाकर कन्या को अपने घर ले आया।
श्रेष्ठी ने मृदु स्वर में कहा, 'पुत्री ! मैं तुम्हारा परिचय जानना चाहता हूं।' वसुमती की मुद्रा गंभीर हो गई। वह कुछ नहीं बोली । श्रेष्ठी ने फिर अपनी बात