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स्वतन्त्रता का अभियान
कोई चारा नहीं है । इसे मानना पड़ेगा पर मैं अपने ढंग से मानूंगा।
कुमार ने कहा, 'एक शर्त पर मैं आपकी बात मान सकता हूं।' 'वह क्या है, दोनों एक साथ बोल उठे।
'घर में रहकर मुझे साधक का जीवन जीने की पूर्ण स्वतंत्रता हो तो मैं दो वर्ष तक यहां रह सकता हूं, अन्यथा नहीं।'
उन्होंने कुमार की शर्त मान ली । कुमार ने उनकी बात को अपनी स्वीकृति दे दी । अभिनिष्क्रमण की चर्चा पर एक बार पटाक्षेप हो गया। विदेह साधना
कुमार वर्द्धमान के अंतस् में स्वतंत्रता की लौ प्रदीप्त हो चुकी थी। वह इतनी उद्दाम थी कि ऐश्वर्य की हवा का प्रखर झोंका भी उसे बुझा नहीं पा रहा था। कुमार घर की दीवारों में बन्द रहकर भी मन की दीवारों का अतिक्रमण करने लगे। किसी वस्तु में बद्ध रहकर जीने का अर्थ उनकी दृष्टि में था स्वतन्त्रता का हनन । उन्होंने स्वतन्त्रता की साधना के तीन आयाम एक साथ खोल दिए-एक था अहिंसा, दूसरा सत्य और तीसरा ब्रह्मचर्य। ___ अहिंसा की साधना के लिए उन्होंने मैत्री का विकास किया। उनसे सूक्ष्म जीवों की हिंसा भी असंभव हो गई। वे न तो सजीव अन्न खाते, न सजीव पानी पीते और न रानि-भोजन करते।' ___ सत्य की साधना के लिए वे ध्यान और भावना का अभ्यास करने लगे। मैं अकेला हूं--इस भावना के द्वारा उन्होंने अनासक्ति को साधा और उसके द्वारा आत्मा की उपलब्धि का द्वार खोला।'
ब्रह्मचर्य की साधना के लिए उन्होंने अस्वाद का अभ्यास किया। आहार के सम्बन्ध में उन्होंने विविध प्रयोग किए। फलस्वरूप सरस और नीरस भोजन में उनका समत्व सिद्ध हो गया।'
कुमार ने शरीर के ममत्व से मुक्ति पा ली। भग्रह्मचर्य की आग अपने आप बुर गई।
पामार की यह जीवनचर्या राजपरिवार को पसन्द नहीं थी। कभी-कभी सुपार्य नौर नंदिवर्द्धन कुमार को साधक-चर्या का हल्का-सा विरोध करते। पर कुमार पहले ही अपनी स्वतंत्रता का वचन ले चुके थे।
१. पारो, 11११-१५; बापासंगपि, पृ००४ । २. . 1१1११: आपासंगति, प. ३०४ ६. पाया ।