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जीवन का विहंगावलोकन
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२१. एयाणि तिन्नि पडिसेवे, अट्ठ मासे य जावए भगवं ।'
- भगवान् ने आठ मास तक उक्त तीन वस्तुओं के आधार पर जीवन चलाया।
२२. अपिइत्थ एगया भगवं, अद्धमासं अदुवा मासं पि ? २३. अवि साहिए दुवे मासे, छप्पि मासे अदुवा अपिवित्ता ।।
-भगवान् उपवास में पानी भी नहीं पीते थे। एक बार उन्होंने एक पक्ष तक पानी नहीं पिया। एक मास, दो मास और छह मास तक भी पानी पिए बिना रहे।
सामान्य धारणा है कि खान-पान के बिना जीवन नहीं चलता। खाए बिना मनुष्य कुछ दिन रह सकता है पर पानी पिए विना लम्बे समय तक नहीं रहा जा सकता । पर भगवान् महावीर ने छह मास तक भोजन-जल न लेकर यह प्रमाणित कर दिया कि मनुष्य संकल्प और प्राणशक्ति के आधार पर भोजन और जल के विना लम्बे समय तक जीवित रह सकता है। ७. देहासक्ति विसर्जन २४. पुढे वा से अपुढे वा, णो से सातिज्जति तेइच्छं।'
-भगवान् रोग से स्पृष्ट होने या न होने पर चिकित्सा की इच्छा नहीं करते थे।
२५. दुक्खसहे भगवं अपडिन्ने ।
--भगवान् कष्टों को सहन करते थे।
२६. अचले भगवं रीइत्था।
- भगवान् चंचलता से मुक्त होकर विहार करते थे।
१. भायारो : ६४.५॥ २. नायारो : १४१५ । ३ आयारो : ६।४।६। ४. नाचारो : १।४।१। ५. आयारो : ३।१२। ६. साधारो:६।३.१३॥