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जीवन का विहंगावलोकन
१. कर्तृत्व के मूलस्रोत १. से वीरिएणं पडिपुण्णवीरिए।'
-भगवान् वीर्य से परिपूर्ण थे।
२. खेयण्णए से कुशले मेधावी।
-भगवान् आत्मज्ञ, कुशल और मेधावी थे।
३. अणंतणाणी य अणंतदंसी।' __ -भगवान् अनन्तज्ञानी और अनन्तदर्शी थे ।
४. गंथा अतीते अभए अणाऊ।
-भगवान् सब ग्रन्थों से अतीत, अभय और अनायु थे।
५. वइरोणिदे व तमं पगासे ।
- भगवान सूर्य की भांति अंधकार को प्रकाश में बदल देते थे।
१. सूयगडो : १६ २. सूयगडो : १।६।३। ३. सूयगडो : १६।३। ४. सूयगडो : १।६।५। ५. सूय गटो : १।६।६।