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पारदर्शी दृष्टि : व्यक्त के तल पर अव्यक्त का दर्शन
एम जिस जगत् में जी के है, उसमें तीन काल है-अतीत, अनागत और वभाग | भारतीय दर्शनेको योज मोजकी प्रमापता है। एक पान में अनेक घटनाएं पनि नाप का सम्बन्ध होता है। कुछ पटनाएं बने पनि होती है, उनमें पोका सम्बन्ध होना। एक दूसरी पटना निमित परती है, उनमें
भाग्ययार्य या सम्बन्ध होता है।
व्यक्ति में जनेक गुपए है। जन जान है की गहरी जानाका मुख्याध्यापन के धार लिए हमारा मुल्या वर्तमान में ही होगा।
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