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बल ने माहोल प्रेम हो। केसनेहहहाराही: महिना होती है. वह कम नहीं है।
जना इन्दिर जरनन संचमानावर र न होता है. वह कम है।
का आप भी करते है : प्रतिदिन करता।
मुनिलेवान कुन नदेव विन्द पहले कदीन नही हो। उसने करवलाच पूना-'मुने हारी ज्योति कोनसोई : सोशिल्यान -माई घी डालने की करहियां कोनसी है कलि को जलाने के कई होन
है। ईधन और शान्ति-मा० कौन से हैं पर जित होन ते तुम ज्योति कोत करते हो?'
बने उत्तर में मुनि हरिकेश ने महिला पज को बारमा की। बरसाता महावीर ने उन्हें प्राप्त थी।
मुनि ने कहा-'द्रदेव ! मेरे पन तर ज्योति है. चतन्य जोतिस्पान। मन, वाणी और काया की सत्प्रवृत्ति पी जलने को करदिया है। घरोर अनि जनाने के कंडे है। कर्म ईधन है। संबन शान्तिपाठ है। इस प्रकार हिसक पास करता हूं।
इन संवाद में यज्ञ का प्रतिवाद नहीं किन्तु रूपान्तरण है । इस रूपान्तरण से पशु-बलि का आधार हिल गया। महावीर के जिन्य बड़े मार्मिक रंग में उसका प्रतिवाद करने में लग गए।
एक बकरा बलि के लिए ले जाया जा रहा था। मुनि ने उसे देया। वे उसके मामने जाकर खड़े हो गए। बकरा जैसे ही निगाट आया, पैसे हो मुनि नोपे तुको और अपने कान बकरे के मुंह के पास कर दिए। देखते-देखते लोग एकत्र हो गए। छ देर बाद मुनि अपनी मूल मुद्रा में पड़े हुए। लोगों ने पूछा-'महाराज ! लाप पदा कर रहे थे?'
मुनि बोले-'बकरे से कुछ बातें कर रहा था।' 'हम आपका वार्तालाप सुनना चाहते हैं लोगों ने पता।
१. उत्तरमापनापि, १२१४३, ४४।
ने और पेद से सटाणे. साई गुमामि ५ वारि एहादसे कमरा नन्ति भिस्य ! पणमेपामानि तो जो जोहो जोमाजोगा पा सरीरं पारित। शाम एस संगमयोगमन्ती, होमं मामी सिर पर !!
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