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महावीर-वाणी
( २९१ ) न य चुग्गहियं कहं कहिन्जा,
नय कुप्पे निहुइन्दिए पसन्ते । संजमधुवजोगजुत्ते, उवसते अविहेडए जे स भिक्खू ॥४॥
( २९२ ) जो सहइ हु गामफटए,
अकोस-पहार-तज्जणामो य। भय-भैरव-सह-सम्पहासे, समसुह-चुपखसहे जे स भिक्खू ॥५॥
( २९३ ) अभिभूय कारण परिसहाई, ___समुद्धरे नाइपहाउ अप्पयं । विइत्तु जाई-भरणं महब्भयं, तवे रए सामणिए जे स भिक्खू ॥६॥
( २६४ ) हत्थसंजए पायसंजए,
वायसंजए संजइन्दिए ।