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महावीर-वाणी
( २०६ ) जया य चयइ धम्म, अणन्नो भोगकारणा। से तत्थ मुच्छिए वाले, आयई नावबुज्झई ॥१०॥
( २०७)
निच्चविग्गो जहा तेगो, अत्तकम्मे हि दुम्मई। तारिसो मरणंऽते वि, नाराहेइ संवरं ॥११॥
( २०८ )
ने केइ पब्वइए, निहासीले पगामसो। भोच्चा पिच्चा सुहं सुवइ, पावसमणि त्ति वुच्चइ ॥१२॥
( २०६) वेराई कुब्वइ वेरी, तो वेरेहिं रज्जइ । पावोवगा य पारमा, टुक्खफासा य अन्तसो ॥१३॥
(२१०) मासे मासे तु जो वाले, कुसग्गेणं तु भुंजए। न सो सुयक्खायधम्मस्स, फलं अग्घ सोलसि ॥१४॥