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________________ बाल-सूत्र ( १९७ ) जो वाल-मूर्ख मनुष्य काम-भोगो के मोहक दोषो मे आसक्त है, हित तथा निश्रेयस के विचार से शून्य है, वे मन्दबुद्धि मूढ ससार में वैसे ही फंस जाते हैं, जैसे मक्खी श्लेष्म (कफ) में। ( १९८ ) जो मनुष्य काम-भोगो में आसक्त होते है, वे बुरे-से-बुरे पापकर्म कर डालते है । ऐसे लोगो की मान्यता होती है कि-"परलोक हमने देखा नहीं है, और यह विद्यमान काम-मोगो का आनन्द तो प्रत्यक्ष-सिद्ध है।" ( १९९) "वर्तमान काल के काम-भोग हाय मे आये हुए है पूर्णतया स्वाधीन है। भविष्यकाल में परलोक के सुखो का क्या ठीक-मिले या न मिलें और यह भी कौन जानता है कि, परलोक है भी या नही?" ( २०० ) ___ "म तो सामान्य लोगो के साथ रहूंगा-अर्थात् जैसी उनकी दशा होगी, वैसी मेरी भी हो जायेगी"-मूर्ख मनुष्य इस प्रकार धूप्टता-भरी बातें किया करते है और काम-भोगो की आसक्ति के कारण अन्त में महान् क्लेश पाते है।
SR No.010540
Book TitleSamyaktva Sara Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanbhushan Maharaj
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages425
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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