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महावीर-वाणी
( १४७ ) अबले जह भारवाहए, मा मम्मे विसमेऽवगाहिया । पच्छा पच्छाणुतावए, समयं गोयम ! मा पमायए ॥२५॥
( १४८)
तिण्णो सि अण्णवं महं, कि पुण चिट्ठसि तीरमागओ। अभितुर पार गमित्तए, समय गोयम ! मा पमायए ॥२६॥
( १४६ ) बुद्धस्स निसम्म भासियं, सुकहियमद्यपदोवसोहियं । रागं दोसं च छिन्दिया, सिद्धिगई गए गोयमे ॥२७॥