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महावीर-वाणी ( १४३ )
अरई गण्डं विसूइया, पायंका विविहा फुसन्ति ले। विहडइ विद्धसइ ते सरीरयं, समय गोयम ! मा पमायए
॥२॥ ( १४४)
वोच्छिन्द सिणेहमप्पणो, कुमुयं सारइयं व पाणियं । से सम्वसिणेहवज्जिए, समय गोयम ! मा पमायए ॥२२॥
( १४५ )
चिच्चाण घणं च भारियं, पन्वइनो हि सि अणगारियं । मा वन्तं पुणो वि आविए, समय गोयम ! मा पमायए ॥२३॥
( १४६ )
उवउन्मिय मित्तबन्धवं, विउलं चैव धणोहसंचयं । मा त विइयं गवेसए, समयं गोयम ! मा पमायए ॥२४॥