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: ११-२: अप्पमाय-मुत्तं
( १२३ )
वुमपत्तए पंडयए जहा, निवडइ राइगणाण अच्चए । एवं मणुयाण जीवियं, समयं गोयम! मा पमायए ॥१॥
( १२४ ) कुसग्गे जह सविन्दुए, थोवं चिट्ठइ लम्बमाणए । एवं मणुयाण जीवियं, समयं गोयम ! मा पमायए ॥२॥
( १२५ )
इह इत्तरियम्मि भाउए, जीवियए बहुपच्चवायए। विहुणाहि रयंपुरकडं, समयं गोयम! मा पमायए ॥३॥
( १२६ ) दुल्लहे खलु माणुसे भवे, चिरकालेण वि सब्ब-पाणिणं । गाढाय विवाग कम्मुणो, समयं गोयम! मापमायए ॥४॥