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________________ ___ सप्तम जोगोपनोग विरमण व्रत. नां फल, पत्र वेचे, पत्र, फूल, फल, कंद, मूल, तृण, काष्ठ, लक डी, वांसादिक व्यापार तथा लीली वनस्पति हरिवीज वस्तुनो जे व्यापार, ते पण सर्व वनकर्म जाणवु तथा खेती कृषीनो व्यापार करवो, ए सर्व वनकर्म आजीविका निमित्तें कर तथा खेमुतने आगलथी पैशा आपीने पड़ी धान्य नीपजे तेवारे ते धान्यमां वधतुं ले, ते पण वनकर्म तथा धान्य दलावे, खंभावे, नरडावे, ए पण एनाज व्यापार, ए वनकर्म व्यापारथी, ते वनस्पतिना जीव अने वनस्पति आश्रित वनना त्रसजीवनी अवश्य विराधना थाय, ए माटे वनकर्म अनाचरणीय बे. इति वनकर्म. ३त्रीजु शाडीकर्म. ते शकट एटले महोटां गामां, वहेल तथा असवारीनो रथ, श्का गाडी एटले बोटी गाडी तथा नाव जाति अथवा वजरा, पलवार,महिलगिरी,उलाक,जमतीया प्रमुख, तथा हलदंताल, चरखा, घाणी प्रमुख. एनां नानां महोटा अंग धोंस रां चक्की एटले घंटी प्रमुख. उखली, मुशली ए सर्व नवां बनावी ने वेचे तथा उपर रही वेचावे, ते सर्व शकटकर्म. ए महा हिंसा तुं कारणबे, अनाचरणीय. इति शाडीकर्म. ४ चोथुनाडीकर्म. ते गाडी, वेल, पोठीयो, उंट, पाडो, गझो, वेसर, घोडो, नाव, रथ, सुखपाल, मोली प्रमुख पोते राखे अने वीजाने नाडे आपे, वीजानो जार वोज, ते कहे त्यां पहोचाडी आपे तथा घर, उकान, वस्त्र, वखार प्रमुख पोतानी होय, ते पार काने नाडे आपे तथा सार्थवाहनो व्यापार, हुंमा नाडानो व्या पार, ए सर्व नाडीकर्ममां आव्यु. जे पोतानी चीजनुं नाउँलश्ने पोतानी चीज वीजाने सोपे, ते पण नाडीकर्म जाणवू. एमां वल द, घोमा प्रमुख जीवने ताडनादिक महापुःख उपजे अने चलाव तां थकां मार्गमांत्रसादि जीवोनी हिंसा अवश्य थाय, ए माटे - ए नाडीकर्म थनाचरणीयठे. इति जामीकर्म,
SR No.010539
Book TitleSamyaktva Mul Bar Vratni Tip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdyotsagar Gani
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1897
Total Pages201
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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