________________
बलदेव वासुदेव गुणवर्णन।
| परिमित अने कोमळ वचन बोलनारा अने हसमुखा, गंभीर, मधुर, संपूर्ण अने सत्य वचनने बोलनारा, शरणे आवेलाना समवायाङ्गवत्सल, शरण करवा योग्य, लक्षण अने व्यंजनना गुणे करीने सहित, मान, उन्मान अने प्रमाणे करीने संपूर्ण अने सुजात
मन्त्र॥ एवा सर्वांगे करीने सुंदर अंगवाळा, चंद्रनी जेवा सौम्य आकारवाळ, कांत अने प्रिय छे दर्शन जेनुं एवा, आळस रहित, चोधं अंग प्रचंड दंडना प्रकार (आज्ञा) वाळा, गंभीर दर्शनवाळा, तालध्वजावाळा (बळदेव) अने ऊंची गरुडध्वजावाळा (वासुदेव),
K मोटा धनुपने खेंचवावाळा, मोटा सचना सागररूप, दुर्धर, धनुपधारी, धीरोने विपे पुरुपाकारवाळा, युद्धमा कीर्तिवाळा ॥२९॥
पुरुप, मोटा कुळमां जन्मेला, मोटा रत्नने चूर्ण करनारा, अर्धभरतना स्वामी, सौम्य ( रोग रहित ), राजकुळवंशमां तिलकसमान, अजित, अजित रथवाळा, हळ अने मुशळने तथा कनक( वाण )ने हाथमां धारण करनारा, (वळदेव) शंख, चक्र, गदा, शक्ति अने नंदक नामना खड्गने धारण करनारा (वासुदेव ) प्रवर, उज्ज्वळ, शुक्लांत अने निर्मक कौस्तुभ नामना मणिने तथा मुकुटने धारण करनारा (वासुदेव ), कुंडळवडे प्रकाशित मुखवाळा, कमळ सरखा नेत्रवाळा, कंठमा पहेरेली एकावळी( हार )ने हृदय उपर धारण करनारा (वासुदेव ), श्रीवत्सना लांछनवाळा, (वासुदेव ) श्रेष्ठ यशवाळा, सर्व ऋतु संबंधी सुगंधी पुष्पोवडे बनावेली, लांची, शोभती, मनोहर, विकस्वर, विचित्र वर्णवाळी अने उत्तम एवी (वन) माळा जेमना वक्षःस्थळमां रची छे-स्थापन करी छे एवा (वासुदेव ), प्रगट एवा एक सो ने आठ लक्षणोवडे प्रशस्त अने मनोहर रच्या छ अंगोपांग जेमना एवा, मदोन्मत्त श्रेष्ठ गजेंद्रनी गति जेवी विलासवाळी छे गति जेमनी एवा, शरद ऋतुना नवा गर्जारव जेवो अने मधुर एवा क्रौंचपक्षीना निर्घोष जेवो तथा दुदुभिना नाद जेवो जेमनो
॥२९९॥