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________________ जहा - पावई भो [ सोमो रुद्दो सिवो महसिवो य । अग्गिसिहो य दसरहो नवमो भणिओ य वसुदेवो ॥ ५० ॥ ] जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए णव वासुदेवमायरो हत्था, तं जहा - मियावई उमा चेव पुहवी सीया य अम्मया । लच्छिमई सेसमई कई देवता ॥ ५१ ॥ जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए णवबलदेवमायरो होत्था, तं जहा - भद्दा तह सुभद्दा य सुप्पभा य सुदंसणा । विजया वेजयंती य जयंती अपराजिया ॥ ५२ ॥ णवमीया रोहिणी य बलदेवाण मायरो || मूलार्थ:-आ जंबूद्वीप नामना द्वीपमां भरतक्षेत्रमां आ अवसर्पिणीमां नव वळदेवना अने नव वासुदेवना पिता हता, तेना नामो आ प्रमाणे - प्रजापति १, ब्रह्म २, सोम ३, रुद्र ४, शिव ५, महाशिव ६, अग्निसिंह ७, दशरथ ८ अने नवमा वसुदेव ९ का छे ( ५० ) || आ जंबुद्वीप नामना द्वीपमां आ भरतक्षेत्रमां आ अवसर्पिणीमां नव वासुदेवनी माताओ हती, तेनानामो आ प्रमाणे - मृगावती १, उमा २, पृथ्वी ३, सीता ४, अंबिका ५, लक्ष्मीवती ६, शेषवती ७, केकी ८ तथा देवकी ९ (५१) ॥ आ जंबूद्वीप नामना द्वीपमां भरतक्षेत्रमां आ अवसर्पिणीमां नव वरदेवनी माताओ हती, तेनानामो आ प्रमाणे - भद्रा १, सुभद्रा २, सुप्रभा ३, सुदर्शना ४, विजया ५, वैजयंती ६, जयंती ७, अपरा
SR No.010536
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJethalal Haribhai
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1939
Total Pages681
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size44 MB
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