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________________ भी समवायाङ्ग कुलकरादि महापुरुष निरुपण॥ पोधु अंग ॥२९॥ कुलगरा होत्था, तं जहा-पढमेत्थ विमलवाहण [ चक्खुम जसम चउत्थमभिचंदे । तत्तो य पसेणईए मरुदेवे चेव नाभी य ॥ ३॥ ] एतेसि णं सत्तण्हं कुलगराण सत्त भारिया होत्था, तं जहा-चंदजसा चंदकंता [ सुरूव पडिरूव चक्खुकंता य । सिरिकता मरुदेवी कुलगरपत्तीण णामाई ॥४॥] ... मूलार्थः-आ जंबूद्वीप नामना द्वीपने विषे भरतक्षेत्रमा अतीत काळनी उत्सर्पिणीमा सात कुलकर थया हता, ते आ प्रमाणे-मित्रदाम १, सुदाम २, सुपार्श्व ३, स्वयंप्रभ ४, विमलघोष ५, सुघोष ६ अने सातमा महाघोष ७ (१)॥ आ जंबूद्वीप नामना द्वीपने विषे भरतक्षेत्रमा अतीत काळनी अवसर्पिणीमां दश कुलकर थया हता, तें आ प्रमाणेस्वयंजल १, शतायु २, अजितसेन ३, अनंतसेन ४, कार्यसेन ५, भीमसेन ६, सातमा महाभीमसेन ७, (२) दृढरथ ८, दशरथ ९ अने शतरथ १० ॥ आ जंबूद्वीप नामना द्वीपने विषे भरतक्षेत्रमा आ अवसर्पिणीमां सात कुलकर थया हता, ते आ प्रमाणे-अहीं पहेला विमळवाहन १, चक्षुष्मान् २, यशोमान ३, चोथा अभिचंद्र ४, त्यारपछी प्रसेनजित् ५, मरुदेव ६ अने नाभि ७ (३)॥ आ सात कुलकरने सात भार्या हती, ते आ प्रमाणे-चंद्रयशा १, चंद्रकांता २, सुरूपा ३, प्रतिरूपा ४, चक्षुष्कांता ५, श्रीकांता ६ अने मरुदेवी ७. आ प्रमाणे कुलकरनी पत्नीना नाम जाणवा. (४)॥ - मू०-जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे णं ओसप्पिणीए चउवीसं तित्थगराणं पियरो S ॥२९०॥.
SR No.010536
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJethalal Haribhai
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1939
Total Pages681
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size44 MB
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