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भी
समवायाङ्ग
सूत्र ॥
अंग
॥ १५५॥
[ १ जो एक अंशने देखाडतो ( प्रकाश करतो ) चंद्र चाले छे अने एक ज अंशने देखाडतो राहु चाले छे, तो हमेशां वे अंश • आच्छादन करवा लायक थाय छे. ए प्रमाणे पंदर दिवसो सुधी आच्छादन कर्या छतां पण तेना वे अंश बाकी रहे छे. ते हे अंश पण अर्ध अर्ध भाग एक एकवडे (चंद्र अने राहुवडे) आच्छादन कराय छे तेथी (वेमांथी) एक ज भाग आच्छादन थाय छे माटे बासठ भाग कल्पवानी जरूर पडे छे (अर्थात् पंदर दिवसे त्रीश आच्छादन थाय छे अने त्यारपछी एक अंश आच्छादन थाय छे तेथी कुल एकत्रीश अंश थया, तेने चमणा करवाथी बासठ अंश करवामां आव्या छे ) ] (३) । 'सोहम्मीत्यादि' - तेमां सौधर्म अने ईशान कल्पमां तेर विमानना पाथडा छे, सनत्कुमार अने माहेंद्रमां बार छे, ब्रह्मलोकमां छ छे, लांतकमां पांच छे, शुक्र देवलोकमां चार छे, एज प्रमाणे सहस्रारमां चार छे, आनत अने प्राणतमां चार छे, ए ज प्रमाणे • आरण अने अच्युतमां चार छे, अधस्तन, मध्यम अने उपरना ग्रैवेयकमां त्रण त्रण होवाथी कुल नव पाथडा छे, तथा अनुत्तर विमानमा एक पाथडो छे. आ सर्व मळीने वासठ थाय छे. आ सर्वना मध्य भागे प्रत्येक (दरेक) उडु विमानने आदि लइने (आरंभीने) सर्वार्थसिद्ध नामना विमान पर्यंत वृत्त (गोळ) विमानरूप बासठ ज मध्यना विमानेंद्रो छे. तेनी पासेना भागमां ( पडखे ) पूर्वादिक चारे दिशामां त्र्यस्र (त्रण खूणीया ), पछी चतुरस्र ( चोखंडा - चार खूणीया ) अने पछी वृत्त विमानना क्रमे करीने विमानोनी आवलिका ( श्रेणि) छे. आ प्रमाणे होवाथी सौधर्म अने ईशान कल्पना पहेला पाथडामां
१. जो कृष्णपक्षमां चंद्र मंद गतिवाळो थवाथी एक भाग पाछो रहे अने राहु तीव्र गतिवाळो थवाथी एक भाग आगळ वचे तो वे भाग चंद्रनी कळाना दबाय एम समजाय छे-ए रीते पंदर दिवसे त्रीश भाग दबाय.
समवाय ६२ ॥
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